लेखनी कहानी -19-Jul-2022..... मानसून स्पेशल...बरसातकी रात..
बरसात की रात.... भाग 4....
प्रकाश के ऐसे बर्ताव की वजह से उसके दोस्त कम दुश्मन ज्यादा थे....। लेकिन रुही का स्वभाव अपने पिताजी के बिल्कुल विपरीत था... इस वजह से हर कोई उससे बात करना चाहता था...।
अगले दिन....
अरे कहाँ चली....
क्या मम्मा.... कॉलेज का टाइम हो गया हैं तो वही जाऊंगी ना... आप भी कैसे सवाल पूछती हो...।
हाँ मुझे पता हैं... लेकिन बाहर का मौसम देखा हैं....!
छोड़ो ना मम्मा.... ये काले काले बादल सिर्फ हमको बेवकूफ बनाने आतें हैं. .। चार दिन से टकटकी लगाकर इंतजार कर रहीं हूँ...। एक बुंद भी नहीं आई बारिश की...। अभी मैं जा रहीं हूँ... मुझे पहले ही देर हो गई हैं...। लव यू माय स्वीटहार्ट....। बाय...।
लेकिन रुही.... अरी सुन तो....। ये लड़की भी ना....।
लेकिन रुही बिना पलटे.... तेज कदमों से हाथ हिलाती हुई घर से निकल गई....।
कुछ देर में ही बस स्टाप पर बस आई और रुही उसमें बैठकर कॉलेज पहुँच गई....।
कुछ घंटों बाद....
कॉलेज कैंटीन में...
जय :- रुही.... तीन दिन की छुट्टी आ रहीं हैं....। क्या प्लान न हैं तेरा..।
कुछ नहीं.... क्यूँ... तुम लोग कहीं जा रहे हो क्या..!
विजय :- तुझे अर्चना ने नहीं बताया क्या..?
नहीं तो... क्या हुआ...।
अरे यार ये अर्चना भी हद करतीं हैं.... हमने बोला था उसे तुझे इंफोर्म करने के लिए...।
लेकिन मुझे तो उसने कुछ नहीं बताया...।
जय :- भूल गई होगी यार... चल छोड़...। अभी बता देते हैं...। महादेव के मंदिर जा रहे हैं...। विकी की गाड़ी में..। मैं... विजय... विकास...अर्चना.... और कोमल.... तु भी चल..इंजोय करके आएंगे यार...।
रुही:- नहीं... मैं शायद नहीं चल पाऊंगी...। तुम सब तो जानते हो ना मेरे पापा नहीं मानेंगे...। जाकर वापस आ सकते तो कॉलेज का बहाना बनाकर निकल सकतीं थीं.... लेकिन महादेव के मंदिर में जाने में ही आठ - दस घंटे लग जाएंगे...। नहीं... मुश्किल हैं.... मुश्किल क्या नामुमकिन हैं...। तुम सब हो आओ...। चलो मैं चलतीं हूँ अभी.. मेरा नेक्स्ट लेक्चर का टाइम हो गया हैं...। बाय...।
विजय :- ओके.... नो प्रोब्लेम.... बाय....।
रुही के वहाँ से जाने के बाद....
क्या यार विजु.... हमारा ये प्लान तो फेल हो गया...। दो महीने से प्लानिंग कर रहे थे....। इसने तो एक झटके में मना कर दिया...।
क्या यार.... तु बड़ी जल्दी हार मान जाता हैं...। इतनी आसानी से प्लान फेल नहीं होने दूंगा....। तु बस इंतजार कर...। मैने सब सोचकर रखा हैं...।
कॉलेज खत्म होते ही रुही बस स्टैंड पर पहुंची...। अभी कुछ मिनट ही हुवे होंगे की मौसम ने फिर अपनी करवट बदली और सवेरे से आंख मिचौली खेल रहें बादल आखिर कार अचानक से छम से बरसने लगे....। देखते ही देखते बारिश अपने पूरे खुमार में आ गई थीं...। आंखें टिकाकर इंतजार करने वाली रुही भला ये मौका कैसे जाने दे सकतीं थीं...। उसने अपनी किताबें बस स्टैंड पर बनी बैंच पर रखी और खुद निकल आई बाहर सड़क के किनारे.... बारिश के मजे लेने...। उसे देख कर सड़क पर खड़े कुछ बच्चे भी उसके साथ भीगनें आ गए....। बस स्टैंड पर खड़े सभी लोग उसे इस तरह भीगता देख रहें थे...। कुछ रोमांचित नजरों से तो कुछ ललसाई नजरों से....। लेकिन रुही को जैसे कुछ होश ही नहीं था...। वो कुछ पल तो भूल ही चुकी थीं की वो खड़ी कहाँ हैं...। आज बारिश भी अपने पूरे जोश में थीं....।
अचानक से बस के तेज हार्न से रुही अपने आप में वापस आई...। वो पूरी तरह से भीग चुकी थीं...। अचानक उसे एहसास हुआ की कुछ लोग उसे इस तरह घुर घुर कर क्यूँ देख रहे हैं...। उसने आव देखा ना ताव.... झट से अपना दुपट्टा अपने चारों तरफ़ अच्छे से लपेट लिया और अपनी किताबें लेकर बस में सवार हो गई...। बस में एक कोनर की सीट मिलतें ही दुबक कर वहाँ चुपचाप बैठ गई....।
मन ही मन रुही खुद पर गुस्सा कर रहीं थीं...। अपने हाथ को सिर पर मारकर मन में बोली.... हद हैं भगवान जी.... एक लड़की को सड़क पर भीगनें का भी हक़ नहीं हैं...। कुत्ते वाली नजरों से घुरने लग जाते हैं ... जैसे कभी लड़की देखी ही ना हो...। किस बात की आजादी मिलीं हैं हम लड़कियों को.... अपनी मर्जी का कुछ कर ही नहीं सकतीं हैं हम....। अभी भी सिर के ऊपर खड़े हो गए हैं....।
सच ही हैं..... ऐसे मौसम में सबसे ज्यादा तकलीफ हम लड़कियों को ही रहतीं हैं....।
रुही की जिंदगी में ये मौसम क्या रंग लाता हैं या बेरंग करके जाता हैं....देखतें हैं अगले भाग में....।
Chudhary
08-Aug-2022 11:43 PM
Nice
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shweta soni
08-Aug-2022 01:18 PM
Nice 👍
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Khushbu
25-Jul-2022 09:36 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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